पूँजीवाद के पहरुये,नेता भये यमराज !
देने लगे सुपारियाँ, मठाधीश महाराज!!
भिखमंगे बेकार नर, मलते अंग भभूत ।
अंधभक्त होने लगे, रिश्वतखोर यमदूत !!
ठिये धर्म -मजहबों के,नैतिकता से दूर !
आतंकियों ने कर दिया, धरती को बेनूर!!
देश तरक्की का मचा, यत्र- तत्र है शोर।
कॉर्पोरेट वकालत ,करते नर मुँह जोर।।
धन्य धन्य वे शूरमा,वतन परस्त इंसान।
जिनके श्रम से हो रहा,नया राष्ट्र निर्माण!!
सामंतवाद के कारण,जनता हुई न एक !
बर्बर- दुष्ट हावी रहे,हमले हुए अनेक!!
आजादी का मजा अब, लूट रहे वे लोग!
स्वाधीनता संग्राम से, दूर रहे जो लोग!!
मेहनतकश भूखे रहें, नेता भ्रस्ट नाकाम!
मुल्क बर्बादी के लिये,दुश्मन का क्या काम!!
:- श्रीराम तिवारी
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