जब तक भारत पर मजहबी आतंकवाद का खतरा कायम रहेगा,तब तक इस देश में 'वर्ग संघर्ष' की सम्भावनाएं भी बहुत क्षीण होंगीं।
यदि आतंकवाद और अलगाववाद का खतरा न हो तो पंजाब, हरियाणा और यूपी वैस्ट के लाखों किसानों की तरह भारत की मेहनतकश जनता भी गरीबी-भुखमरी और असमानता के खिलाफ खुद उठ खड़ी होगी। लेकिन अभी तो सारा भारत और समस्त दक्षिण मध्य एशिया इस मजहबी आतंकवाद की गिरफ्त में है।
भारत में कुछ बदमाश जातीय नेता उनकी जात समाज के लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा से अलग करने और दूसरे जात समाज के लोगों से बैमनस्य बढ़ाने का काम करते हैं!जातीय आधार पर संगठित समूह देश के लिए खतरा हैं! जातीय संगठन सर्वहारा क्रांति के लिये घातक हैं! मेहनतकश जनता जातीय धड़ों में विभक्त होने के कारण *वर्ग संघर्ष* के लिये एकजुट नही हो सकती!
यह भी काबिले गौर है कि भारत में जबसे मोदी सरकार सत्तामें आई है तबसे मजहबी फसाद और इस्लामिक आतकंवाद का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है। भारत के प्रगतिशील और प्रबुद्ध लोग जिस तरह मोदी सरकार की खामियों के खिलाफ जनता को लामबन्द करने का काम करते हैं,उसी तरह पूरी शिद्दत से उन्हें मजहबी आतंकवाद पर भी हल्ला बोलना चाहिए ! किंतु ऐंसा कतई नही हो रहा है, अत: विपक्ष का यह आचरण फासिजम को फलने फूलने का मौका दे रहा है!
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