यदि आप पूर्वजों,वरिष्ठजनों ,सुह्रदयजनों सच्चे समाजसेवियों,मेहनतकशों,किसानों और अभिभावकों के प्रति कृतज्ञता भाव रखेंगे तो आप निश्चय ही सतत ऊर्जावान और सर्वप्रिय बने रहेंगे।
विपश्यना एवं ध्यान आपके आध्यात्मिक और वैयक्तिक उद्धार के साधन हो सकते हैं! किंतु बिना सामाजिक सरोकारों,राष्ट्रीय सुरक्षा, अमन- चैन और वैश्विक शांति के किसी का भी व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन अक्षुण तथा आत्मोद्धारक नही हो सकता!
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