एक साहब कहते हैं कि दफ्तर जाते हुए रोजाना इनकी बेगम इन्हें कुछ न कुछ याद दिलाती थी कि 'आप चाबी भूलकर जा रहे हैं, आपने अपनी घड़ी नहीं उठायी, आपका पर्स यहीं रह गया है' वगैरह-वगैरह
कहते हैं मैं बड़ी शर्मिंदगी महसूस करता था, ऐसे लगता था कि जैसे मेरी बीवी मुझे अक्ल से पैदल समझ कर यह चीजें याद दिलाती है।
एक रात को सोने से पहले मैंने अपने साथ ले जाने वाली हर चीज की एक लिस्ट बनाई , सुबह उठ कर लिस्ट की एक एक चीज को निशान लगा कर जेब में डाला और कार में जा कर बैठा ही था कि दरवाजे पर बेगम दिखाई दी और शान से अपने सर को हिलाते हुए मुझे देखा
- मैंने भी वही से बैठे बैठे उसे कह दिया कि बस बहुत हो गया :: आज मैं कुछ नहीं भूला और तुम्हारा सब याद दिलाने का बहुत शुक्रिया !
*बेगम बोली: चलो वो तो ठीक है लेकिन अब वापस आकर दोबारा सो जाओ क्योंकि आज इतवार है।*
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