शुक्रवार, 12 नवंबर 2021

पुरुष पुरातन की बधु ,क्यों न चंचला होय?

 कमला थिर न रहीम कह,यह जानत सब कोय।

पुरुष पुरातन की बधु ,क्यों न चंचला होय।।
अर्थ ;- कवि 'अब्दुल रहीम खान-ए -खाना ' कहते हैं कि यह बात तो सभी जानते हैं कि कमला [ लक्ष्मी ] स्थिर नहीं हुआ करती । बृद्ध पुरुष की जबान जोरू 'चंचल' क्यों नहीं होगी ?
भावार्थ :- कमला अर्थात यश ,कीर्ति,विजय ,सम्पदा ऐश्वर्य और राज्य सम्पदा कभी किसी के साथ सदा के लिए नहीं रहते। यह बात सभी विद्वानों ने बार-बार कही है। अनादि परम पुरष विष्णु की भार्या लक्ष्मी तो वैसे भी 'चंचल ही हुआ करती है।..

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