शुक्रवार, 5 नवंबर 2021

हंसों का जोड़ा उड़े अथक दिन रात है!!

 सरसों के फूल सजी धरा बनी दुलहन ,

अलसी के फूल करें भंवरों से बात है!
उड़ि -उड़ि झुण्ड चले गगन पखेरूवा ,
हंसों का जोड़ा उड़े अथक दिन रात है!!
बाजरा-ज्वार की गबोट खिली रसभरी,
रबी की फसल उगी खेत मेंड़ हरियात है !
कहीं पै सिचाई होवै कहीं पै निराई होवै ,
कहें 'श्रीराम' गौधुलि बेला में गैया रंभात है।

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