रविवार, 6 मार्च 2022

कदम देशहित में जरूरी

 यह अनादिकाल से चलन रहा है कि जो बुरा शासक होता है, उसकी आलोचना भी होती है और वह क्रूर शासक अपने विरोधियों का साम दाम दंड भेद से शमन भी करता रहा है!आजादी के बाद हमारे भारत में पंडित नेहरू,लाल बहादुर शास्त्री और राजीव गांधी,अटलबिहारी बाजपेई डॉ. मनमोहन सिंह इत्यादि ने कभी भी अपने विरोधियों का दमन नही किया! बल्कि हमेशा सम्मान ही किया!

वेशक इंदिराजी ने कुछ कठोरता अवश्य दिखाई,किंतु वह कदम देशहित में जरूरी था! किंतु इन दिनों तो अंधेर हो रहा है! यदि किसी साहित्यकार,बुद्धिजीवी या फिल्मी हस्ती ने जरा सा मुँह जुबानी विरोध क्या कर दिया-E. D/CBI/IT वाले काम पर लग जाते हैं! हालांकि छापे में क्या क्या मिला ? स्टलमेंट कितने में हुआ ? पता ही नही चलता !

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