बुधवार, 16 मार्च 2022

ईश्वर के होने का प्रमाण

 एक दिन एक राजा ने अपने

सभासदों से कहा- ‘क्या तुम लोगों में
कोई ईश्वर के होने का प्रमाण
दे सकता है ?’
सभासद सोचने लगे और अंत
में एक मंत्रीने कहा - ‘महाराज, मैं कल
इस प्रश्न का उत्तर दूँगा!
सभा समाप्तहोने के बाद उत्तर की तलाश में वहमंत्री अपने गुरु के पास जा रहा था।
रास्ते में उसे गुरुकुल का एकविद्यार्थी मिला!
मंत्री को चिंतित देख उसने पूछा- ‘सब
कुशल मंगल तो है ?
इतनी तेजी सेकहां चले जा रहे हैं ?’
मंत्री ने कहा- ‘गुरुजी से ईश्वर
की उपस्थिति का प्रमाण पूछने
जा रहा हूं।’
विद्यार्थी ने कहा-‘इसके लिए गुरुजी को कष्ट देनेकी क्या आवश्यकता है ?
इसका जवाब तो मैं ही दे दूंगा।’
अगलेदिन मंत्री उस विद्यार्थी को लेकर
राजसभा में उपस्थित हुआ और बोला-
‘महाराज यह विद्यार्थी आपकेप्रश्न का उत्तर देगा।’
विद्यार्थी ने पीने के लिए एक
कटोरा दूध मांगा। दूध मिलने पर
वह उसमें उंगली डालकर
खड़ा हो गया। थोड़ी-थोड़ी देर में
वह उंगली निकालकर कुछ देखता,
फिर उसे कटोरे में डालकर
खड़ा हो जाता। जब काफी देर
हो गई तो राजा नाराज होकर
बोला-
‘दूध क्यों नहीं पीते? उसमें
उंगली डालकर क्या देख रहे हो?’
विद्यार्थी ने कहा-‘सुना है दूध मेंमक्खन होता है, वही खोज रहा हूं।’
राजा ने कहा-
‘क्या इतना भी नहीं जानते कि दूधका दही बनाकर उसे बिलोने से ही मक्खन
मिलता है।’
विद्यार्थी नेमुस्कराकर कहा-‘हे राजन, इसी तरहअनंत आकाश में,अखिल ब्रह्मांड में ईश्वर व्याप्तहै,लेकिन वह मक्खन की भांति अदृश्यहै। उसे साधना,श्रद्धा और विश्वास से मेहसूस किया जाता है।’
राजा ने संतुष्टहोकर पूछा-‘अच्छा बताओ कि ईश्वरकरता क्या है ?’
विद्यार्थी ने प्रतिप्रश्न किया-‘गुरुबनकर पूछ रहे हैं या शिष्य बनकर?’
राजा ने कहा, ‘शिष्य बनकर।’
विद्यार्थी बोला, ‘यह कौनसा आचरण है?शिष्य सिंहासन पर हैऔर गुरु जमीन पर?' राजा ने झटविद्यार्थी को सिंहासन पर
बिठा दिया और स्वयं नीचेखड़ा हो गया। तबविद्यार्थी बोला,‘ईश्वरराजा को रंक और रंकको राजा बनाता है।’
मित्रो, ईश्वर कि उपस्थिति के
किसी प्रमाण
की क्या आवश्यकता? वह तो कण
कण में है. जैसे दूध में मक्खन और दही दिखाई नहीं देते,माचिस की तीली में आग नजर नहीं आती,फूलों में खुशबू और मेंहदी में रंग दिखाई नही देते!ऐसे ही ईश्वर भी प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देता!उसके लिये मन का पूर्ण समर्पण,ह्रदय में आस्था और पूरा विश्वास होना चाहिये!

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