दवाएं मेंहंगीं,पैट्रोल महँगा,अन्न पानी और
खाने का तेल-दालें मेंहंगी,मिलावटी खाद्यान्न, किराना और दूध मेंहंगा!गैस सिलेंडर मेंहंगा! इतनी प्रचंड मेंहंगाई पर तमाम विपक्षी पार्टियां और पीड़ित जनता जनार्दन सब चुप हैं! तीन साल कोरोना का रोना रोते रहे ,अब यूपी सहित अन्य 4 राज्यों के चुनाव पर कुकरहाव मचा है! इन सबसे निजात मिले, उससे पहले ही यूक्रेन रसिया द्वंद के रूप में तीसरे महायुद्ध के चीत्कार के बहाने शासक वर्ग ने अपने देश की शोषित पीड़ित जनता के ज्वलंत सरोकारों से मुँह मोड़ लिया!
किंतु इस दरम्यान यदि भाजपा विपक्ष में होती तो इस समय तक देश भर में मंहगाई की होली जल रही होती!रूस यूक्रेन युद्ध पर सत्तापक्ष की जबरजस्त आलोचना हो रही होती! युक्रेन के भारतीय छात्रों की दुर्दशा पर और देशमें बेरोजगारों की बदहाली पर खूब घड़ियाली आँसू बहाये जा रहे होते ! ऐंसी अवस्था में जो भी कांग्रेसी या गैर भाजपाई प्रधानमंत्री होता,भाजपा नेत्रियाँ उसे चूडियाँ भेंट कर रही होतीं!
अतीत में भाजपाईयों ने मेंहंगाई के खिलाफ, बेरोजगारी के खिलाफ,अर्थनीति और विदेश नीति के खिलाफ अनेक संघर्ष किये हैं,खूब लड़ाई लड़ी,किंतु सिर्फ तब -तब,जब-जब वो विपक्ष में होते हैं!
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