शुक्रवार, 18 मार्च 2022

"द कश्मीर फाइल्स"

इन दिनों *द कश्मीर फॉइल्स * फिल्म की बड़ी चर्चा है! मैने तो फिल्म देखी नही और न ही देखने की हिम्मत है! क्योंकि प्रस्तुत फिल्म में जिन अमानवीय वीभत्स घटनाओं का चित्रण बताया जा रहा है,हम बुजुर्ग लोग उन सभी बर्बरताओं के स्वयं साक्षी हैं!
विगत एक हजार साल में बाह्य हमलावरों द्वारा करोड़ों कश्मीरी हिंदू बौद्ध मार डाले गए! जो जिंदा बच गये,उनका क्रूर धर्मांतरण किया जाता रहा है! बर्बर हिंस्र हमलावरों से आतंकित लाखों कश्मीरी (पंडित) बौद्ध भाई बहिन मारे गए! आजादी के बाद जो कश्मीर घाटी में केंद्र सरकार की ओर से कार्यरत थे, वे भी आतंकियों द्वारा किये गये अत्याचार से भागकर जम्मू में शरण लेने पर मजबूर हुए !
जो सक्षम थे, वे मुंबई,दिल्ली,शिमला और अन्य शहरों में संघर्ष करते हुए जैसे तैसे जीवन यापन करते रहे! जो कमजोर थे,वे अभागे नर नारी न तो अपनी इज्जत आबरू बचा सके ,न धन संपत्ति घर द्वार बचा सके ! और न अपनी जिंदगी बचा सके!
1980 के बाद से ही तमाम कश्मीरी पंडित या हिंदू कश्मीर में लुटते चले गये,बर्बाद कर दिये गये,लाखों मार दिये गये! यह अधम नर हत्याकांड किसी फिल्म में नही फिल्माया जा सकता,,*द कश्मीर फाइल्स* में यह सब दिखाया जाना संभव नही!
आजादी के बाद 1947 से 1980 तक भी कश्मीर में कभी शांति के कपोत उड़ते नही देखे गये! जो तस्वीर आज है,वो तब भी थी! इसके बावजूद बेगुनाह हिंदुओं के कत्लेआम पर जो लोग चुप रहे,आतंकियो के डर से,इन दिनों हिजाब जैसी नारी विरोधी अनावश्यक चीज पर छाती पीट रहे हैं! वो ही असल दोगले हैं,देशद्रोही हैं !
कश्मीर हो कैराना हो या बंगाल हर किस्म की दरिंदगी पर फिल्म बननी चाहिये!उस मुसलसल हैवानियत पर यदि कोई फिल्म बनती है,तो उस पर उसी को इतराज हो सकता है,जो हरामजादा उन मासूम बच्चियों युवतियों की सिसकियों,अहिंसक हिंदूओं पर हुए बर्बर अत्याचार का समर्थन करता है!यदि किसी कमीने को इन निर्शंस हत्याओं में कोई बुराई नही दिखती, तो उसे बारंबार धिक्कार है! धिक्कार है!
स्वयभू विद्वान वुद्धिजीवियों को चाहिये कि फिल्म *द कश्मीर फॉइल* का विरोध कतई न करें ! कम से कम देश में संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नीति निर्देशक सिद्धांतों का पालन करते हुए, मुंशी प्रेमचंद को याद करें:- बिगाड़ के डर से क्या ईमान की बात न करोगे?
नोट:- मैने फिल्म कश्मीर फाईल्स नही देखी किंतु मित्र Sharad Ajmera जी नेअवश्य आब्जर्व किया है कि फिल्म के डाइरेक्टर ने फिल्म में ये बात छुपाई है कि जब कश्मीरी पंडितों का पलायन हो रहा था, तब केंद्र में बीजेपी समर्थित विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार थी! और तब कश्मीर में बरसों तक राष्ट्रपति शासन रहा था।

आज होलिका पूजन के बाद घर लौट रहा था तभी एक मित्र का फोन आया बोला:" भाईश्री जय भोलेनाथ.. आप आजकल "द कश्मीर फाइल्स" के जिस तरह प्रचार में लगे हुए हो, क्या आप इस्लाम को वाकई इतना बुरा मानते हो। इस्लाम तो एक धर्म है और आप कहते हो, कि कोई भी धर्म कभी बुरा नहीं होता..???" मैंने कहा:" बिल्कुल सही कहा आपने, कि कोई भी धर्म कभी बुरा नहीं होता पर उसे जबरन औरों पे थोपना या उन्हें मजबूर करना जरुर बुरा है। अब रही इस्लाम की तो, माई डीयर.. उसके कुछ मतावलंबियों द्वारा जैसा आजकल किया जा रहा है उसके लिए मैं सिर्फ इतना ही कहूँगा, कि..👇😎


15 Commentsआज होलिका पूजन के बाद घर लौट रहा था तभी एक मित्र का फोन आया बोला:" भाईश्री जय भोलेनाथ.. आप आजकल "द कश्मीर फाइल्स" के जिस तरह प्रचार में लगे हुए हो, क्या आप इस्लाम को वाकई इतना बुरा मानते हो। इस्लाम तो एक धर्म है और आप कहते हो, कि कोई भी धर्म कभी बुरा नहीं होता..???" मैंने कहा:" बिल्कुल सही कहा आपने, कि कोई भी धर्म कभी बुरा नहीं होता पर उसे जबरन औरों पे थोपना या उन्हें मजबूर करना जरुर बुरा है। अब रही इस्लाम की तो, माई यर.. उसके कुछ मतावलंबियों द्वारा जैसा आजकल किया जा रहा है उसके लिए मैं सिर्फ इतना ही कहूँगा, कि..

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"ढाई घण्टे में अपने बच्चो को इस्लाम सिखाने का सबसे सरल उपाय है, #द_कश्मीर_फाइल्स.." इस पर वो बोला:" यानी आप हिंदुओं को भड़काना चाहते हो, एक समुदाय के खिलाफ.." इस पर मैंने मुस्कुराते हुए कहा:" देख भाई.. म्हारै विचार बँधे थे हाथ नहीं, उन्हें तो दफा 302 नहीं रोक पाई पर हमें धारा 370 रोक गई। बिल्कुल वैसे जैसे 1100- 11000 या जितने भी हिंदू मरे उनमें से वो किसी 1 नै बी ना मार पाए, हम साला संदूक तो उठा लेते हैं भागण कै ताँई पर कदै हथियार नीं ठातै अपने या अपनों के बचाव के लिए। बस.. याए असल मुसीबत है अर जिब तलक हम इसनै नहीं बदलेंगे, तब तक ईसी फाइल्स बणती रहवैंगी। प्रशासन हो या सरकार उड़ै ए झुकै जड़ै एका हो...समझा..." इतना सुनते ही उसनै अंटशंट बकते झकते हुए फोन काट दिया...
अब यदि आपने सारा वृत्तांत पढ़ लिया हो, तो कृपया बताएँ कि मैंने इसमें क्या और कितना गलत कहा...

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