विगत दिनों चीन में सम्पन्न चीनी साम्यवादी पार्टी के अधिवेशन में पारित कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तावों में से दो प्रस्ताव अति महत्वपूर्ण हैं!
एक प्रस्ताव है: -चीन में कम आय वर्ग के नागरिकों की औसत आमदनी में और इजाफा किया जाए !
दूसरा प्रस्ताव है :- जिन गैर सरकारी चीनी कंपनियों ने भरपल्ले से कमाया है, वे उसमें से उचित हिस्सा,मानव समाज को वापिस लौटाएं!
पहला प्रस्ताव इंदिराजीके *गरीबी हटाओ* नारे जैसा ही है ! दूसरा प्रस्ताव भी हूबहू महात्मा गांधी के 'ट्रस्टी शिप सिद्धात' की नकल जैसा लगता है!किंतु यह तुलना सिर्फ सिद्धांत स्तर तक ही ठीक है!
वास्तव में चीनी कम्युनिस्ट पार्टीके प्रस्तावों का उद्देश है वैज्ञानिक आधार पर उत्पादन के साधनों का सर्व समावेशी युक्तियुक्तकरण और प्राप्त लाभांश का वितरण व स्वामित्व! जोकि राष्ट्रीय औसत आय के अनुपात में, आम जनता के हितों पर आधारित है!
जैसा कि सर्वविदित है कि चीन दुनिया में एकमात्र राष्ट्र है,जिसके बारे में यूएनओ ने विगत दिनों कहा था कि *चीन में एक भी गरीब नही है* यूएन ने जब यह घोषणा की थी तब मैने उसकी निषेधात्मक विबेचना की थी! दरसल यूएन ही नही विश्व बैंक,आईएम एफ तथा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ऐजेंसियों ने भी माना है कि चीन ने पूँजीपतियों को छूट देकर द्रुतगति से चीन का आर्थिक विकास किया है! चीन की टॉप पाँच कंपनियों ने भारत सहित दुनिया के बाजार से जो दोनों हाथें से लूटा है,शी जिन पिंग अब उस मुनाफे का बटवारा चाहते हैं!
मतलब जिस निम्न मध्यम वर्ग का जीवन स्तर अभी भी उच्च मध्यम वर्ग से निम्न है,शी जिन पिंग उस जनता को मालामाल करना चाहते हैं! यह चीनी जनता के लिये और कम्युनिस्ट जगत के लिये खुशी की बात है!
अब सवाल उठता है कि भारत में जब मोदी सरकार भी गरीबों की मदद कर रही है,मुफ्त राशन दे रही है,केजरीवाल तो मुफ्त बिजली पानी दवा भी दे रही है,तो फिर चीन की कम्युनिस्ट सरकार और भारत की मोदी सरकार में फर्क क्या है?
यही फर्क अगर भारत की जनता जान ले तो भारत में भी क्रांति हो सकती है! बहरहाल चीन और भारत की नीतियों में बुनियादी और सबसे बड़ा फर्क यह है कि चीन के बड़े पूँजीपति इतनी हिम्मत नही कर सकते कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रस्ताव को न माने! भारत में इसका उल्टा है,हमारी मोदी सरकार में हिम्मत नही कि अडानी,अंबानी जैसे नव धनाड्यों से कहें कि *अपना सारा मुनाफा जनता को लौटाओ!*
वे धन्ना सेठों की अंटी से चुनावी फंड तो झटक सकते हैं,किंतु बेरोजगार युवाओं या गरीब मजदूर किसान और आम जनता के हित में इन टॉप पूंजीपतियों की सम्पत्ति को छू भी नही सकते!
फिर भी यदि मोदी जी चाहें तो शी जिन पिंग से बात करें और चीन की कंपनियों ने भारत में जो कमाया है,बल्कि यों कहें कि लूटा है, उसका कुछ हिस्सा भारत के निर्धन समाज को लौटा दें! ध्यान रहे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने महासचिव शी जिन पिंग के प्रस्ताव में सिर्फ चीनी जनता का ही नही, बल्कि *मानव समाज *का उल्लेख किया है! अत:मोदी सरकार से निवेदन है कि इसी आधार पर भारत में कार्यरत तमाम चायनीज कंपनियों-हुआबेई,वीवो,जैकमा इत्यादिचीनी कंपनियों से जबरन बसूली कर भारत के गरीब मानव समाज का भला करें !
हो सके तो अंबानी अडानी जैसे अपने मित्रों को भी वही कहें ,जो मोदीजी के मित्र शी जिन पिंग ने चीन के धनकुबेरों से कहा है!#NarendrModi
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