भारतवर्ष की सही दिशा है,
भगतसिंह की वाणी में !
माल समेटकर भागे चोट्टे ,
रिजर्व बैंक हैरानी में!!
मंद-मंद मुस्कराएं हुक्मराँ,
गयी भैंस जब पानी में !
सुरा सुंदरी माल मुल्क का,
चौकसी माल्या ब्रितानी में !!
तब ईपीएफ का पैसा डूबा,
कामगारों की नादानी में !
अब अच्छे दिन हैं रंग रंगीले,
और भ्रस्टाचार मस्तानी में।
बेकारी का काल सर्प है,
मुफ्तखोरी की छानी में !!
लुटिया डूबी लोकतंत्र की ,
दल -दल की नादानी में !
जाति मजहब उन्माद बढ़ा,
चुनावी वोट बैंक शैतानी में !!
कॉरपोरेट पूँजी के जलवे,
निजीक्षेत्र कारस्तानी में!
निर्धन -निबल लड़े आपस में,
धर्म-जाति की सानी में!!
भारतवर्ष की सही दिशा है,
भगतसिंह की वाणी में !
अमर शहीदों का बलिदान,
संघर्षों की अमर कहानी में !!
श्रीराम तिवारी
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