इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
गुरुवार, 3 मार्च 2022
मैं खुद ही लौट जाऊंगा,
अभी सूरज नहीं डूबा है,
जरा सी शाम तो होने दो!
मैं खुद ही लौट जाऊंगा,
मुझे नाकाम तो होने दो!!
क्यों मुझे बदनाम करने का,
बहाना ढूंढ़ता है जमाना?
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम,
पहले मेरा नाम तो होने दो!!
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