बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

क्या वामपंथी देश के खिलाफ होते हैं?

 वॉटस्एप,फेस बुक इत्यादि सोशल मीडिया पर आये दिन कुछ अधकचरे अपढ़ कुपढ़ गंवार,उजड्ड लोग वामपंथ के नाम से ऐंसे भड़कते हैं,जैसे लाल कपड़े देखकर सांड भड़कने लगता है!कुछ अहमक साम्प्रदायिक तत्व-अंधभक्त इतने नीचे गिर जाते हैं कि वामपंथियों को क्रांतिकारी कहने के बजाय उन्हें गद्दार का तमगा पेश करने लग जाते हैं!

दुनिया में वामपंथी विचारधारा को सम्मान की नजर से देखा जाता है ! भारत में भी पढ़ने लिखने वाले मननशील संघर्षशील युवा मार्क्सवाद पर पीएचडी करने को लालायित रहते हैं! अधिकांस युवा छात्र साम्यवाद को पूंजीवाद का विकल्प मानकर जद्दोजहद की वकालत करते देखे गये हैं! किंतु भारत में एक खास वर्ग के लुच्चे लफंगे वामपंथ से चिढ़ते हैं,नफरत करते हैं! वे ऐंसा इसलिये करते हैं कि उन्होंने साम्यवाद और द्वंदात्मक ऐतिहासिक भौतिकवाद या अन्य राजनैतिक सामाजिक दर्शनों या साइंस विषयों को नही पढ़ा! वे तो सत्ता सुख भोग रहे आकाओं के
हुक्म के गुलाम हैं! इनके बौद्धिक प्रमुख और नेता इन उजड्ड गँवारों के मस्तिष्क में वामपंथ के खिलाफ जहर घोलते रहते हैं!
पता नही किस बेबकूफ ने उनसे कह दिया कि वामपंथी देश के खिलाफ होते हैं?इन नादान कूपमंडूकों ने क्या कभी सोचा कि वामपंथी यदि खुद के देश के खिलाफ होते तो आज का कम्युनिस्ट चीन और पहले का कम्युनिस्ट रूस इतने ताकतवर कैसे हो गये? यदि दुनिया में वामपंथी देश द्रोही होते तो कोई भी कम्युनिस्ट मुल्क आजाद ही नही रहता या कि इतना ताकतवर देश नही होता जितने आज रूस और चीन हैं,और जिनसे आज सारी दुनिया थर थर कांप रही है?रूस यूक्रेन की सीमा पर यदि शस्त्र प्रदर्शन करता है तो सारी दुनिया में पेट्रोल डीजल के भाव बढ़ने लगते हैं, सेंसेक्स ऊपर नीचे होने लगता है और अमेरिका की हग्गु मुत्तु बंद हेने लगती है! हमारे (भारत ) के नेता शांतिपाठ करने बैठ जाते हैं!
जिस दिन भारत में वामपंथ का शासन होगा,उस दिन रूस चीन और अमेरिका हमसे थर थर कांपेंगे और संभवत:भारत पाकिस्तान और नैपाल एक होकर *अखंड भारत* फिर से बन सकता है! हिंदु- मुस्लिम झगड़े बढ़ाकर सत्ता हथियाने से अंबानी या अडानी का भला तो हो सकता है,किंतु इस भ्रस्ट सिस्टम से मेरा भारत कभी ताकतवर नही बन सकता!
यदि भारत को विश्व शक्ति बनाना है,अक्षुण बनाना है,गरीबी भुखमरी,साम्प्रदायिकता को मिटाना है,तो एक मौका वामपंथ को भी मिलना चाहिये! कांग्रेसियों को कई अवसर मिले ,भाजपा को खूब आजमा लिया! एक मौका साम्यवादियों को देकर तो देखो- यदि वे असफल हों तो उनकी आलोचना कीजिये, उन्हें सत्ता में मत आने दीजिये! किंतु ये क्या बात हुई कि आप वामपंथ को चंदा नही देते, आप वामपंथ को वोट नही देते,फिर ऊपर से तुर्रा ये कि आप वामपंथ को गालियां देते हैं! ऐंसी घटिया सोच वालों को जो पूंजीवाद का पिछवाड़ा धोने में लगे हैं और अपने ही वर्ग के क्रांतिकारियों को भला बुरा कहते हैं, इन्हें धिक्कार है!छि:
साम्यवाद की ताकत आज पूरी दुनिया देख रही है! 21 वीं शताब्दी के सोवियत रूस में 70 वर्ष तक कम्युनिस्ट शासन रहने का ही ये असर है कि बिना एक गोली चलाए ही रूस ने अमेरिका सहित सारी दुनिया को हतप्रभ कर डाला है! साम दाम दंड भेद आजमाकर रूस ने आधे यूक्रेन को अपना फॉलोवर बना लिया है!नाटो देश सिर्फ बतोलेबाजी कर रहे हैं!सुरक्षा परिषद की मीटिंग हो रही है,सोचो यदि भारत में साम्यवादी व्यवस्था होती तो, भारत भी चीन रूस जितना शक्तिशाली होता ! बहरहाल अभी तो हमारे सिर्फ दो नेता बलवान हैं और दो पूंजीपति शक्तिशाली हैं! बाकी बोलते रहो जय जय श्रीराम.....

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