क जमाना था,जब बहिनजी के सामने मंच पर कलेक्टर या मंत्री जूता पहिनकर नही जा सकता था ! वही बहिनजी आज जीरो हो चुकीं हैं! जिस पार्टी को मान्यवर काशीराम ने राष्ट्रीय पार्टी बनाया था,उसी बसपा को विगत यूपी विधान सभा चुनाव में सिर्फ एक ही सीट मिली,वो भी कोई तीसमारखाँ उमाशंकरसिंह ने अपने बल पर जीती है !
बसपा सुप्रीमो बहिनजी का ताज-नोटों की मालाओं और उनके अहंकार में तब्दील होकर भाजपा का भला कर गया! यह एक अकाट्य सत्य है कि जब मोदी जी ने यूपी के एक दलित को राष्ट्रपति बनाया,उसके बाद एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया,तो बदले में दलित बहुजन समाज ने अपने आपको सदा दलित कहलाने के बजाय और बसपा या बहिनजी का गुलाम बनने के बजाय सनातनी *हिंदू* कहलाना पसंद किया!
इस तरह बहिनजी का तथाकथित *नॉन ट्रॉस्फरेबिल वोट बैंक* श्रीरामलला के मानवता ज्ञ ्यख़्स िं आ गया! आगे मानव
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