चर्च जाने,बप्तिस्मा करने,तीर्थ करने,नदी स्नान करने,भोंपू लगाकर अजान देने, हज करने और बीच चौराहे पर नमाज पढ़ने से,कदाचित जन्नत या बैकुंठ मिल भी जाए! किंतु जो इंसान भ्रष्टों की दलाली करेगा, रिश्वतखोरी करेगा, कमजोर को सताएगा,हराम की कमाई खाने में संलग्न रहा होगा,वह प्रारब्ध के कारण स्वरूप जीते जी इस जनम में भले ही सांसारिक सुख का अनुभव कर ले, किंतु उसको सद्गति कभी नही मिलेगी!
"B. E./M. E/MBA/MCA या अकादमिक डिग्री हासिल कर किसी नौकरी धंधे में लग जाना मिडिल क्लाश मानसिकता की उपलब्धि है! लेकिन जीवन के समग्र व्यवहार में *वैज्ञानिक नजरिया* रखने वाले लोग ही सही मायने में सभ्य और शिक्षित हुआ करते हैं!यदि ऐंसे लोगों का समाज में बहुमत हो तो क्रांति संभव है!"
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