जब कोई व्यक्ति ज्ञान मार्ग पर चलकर विश्व कल्याण की कामना लेकर निष्काम भाव से कर्म करता है,तब वह ब्राह्मण होता है।जब वही व्यक्ति उद्यम करता है,व्यापार करता है,तब वह वैश्य होता है! जब वही व्यक्ति *वर्ग संघर्ष*की अवस्था में कमजोर वर्ग के पक्ष में संघर्ष करता है,तब वह क्षत्रिय होता है!सरकारी/सार्वजनिक निजी/ क्षेत्र में नौकरी चाकरी करने वाला शूद्र होता है ! ये सभी भूमिकाएं अदा करने वाले ज्ञानी ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ शूरवीर उद्यमशील जन सेवक को हिंदू कहते हैं!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें