सोमवार, 6 मार्च 2023

प्रश्न:- क्या भारत की एकता और अखंडता अक्षुण है?


उत्तर:- विश्व की पूर्ववर्ती महाशक्ति सोवियत संघ के 15 देशों में बट जाने की दास्तां बहुत जटिल किंतु सर्वविदित है ! 1917 से लेकर 1987 याने 70 साल तक साम्यवादी छतरी के नीचे रहने के बावजूद किसी भी जाति या कबीले ने अपने को सोवियत नही माना! वहां कोई रसियन था,कोई कज्जाक था,कोई उजबेग था,कोई आर्मेनियाई था,कोई स्लाव था,कोई चैक था,कोई चैचन था कोई उक्रेनी और कोई रूसी था! किंतु सोवियत यूनियन का कोई नही था!आओ हम भारतवासी इससे सबक सीखें!
यदि हमेशा के लिए भारत की एकता अखंडता अक्षुण रखना है,तो हमें साथ मिलकर उस जाति पाती क्षेत्रीयता और भाषाई विषमता को सबसे पहले सुलझाना होगा! इसके लिए कुछ विचार णीय बिंदु इस प्रकार हैं:-
*भारत के हर युवा के लिए आर्मी जैसी कोई ट्रेनिंग अनिवार्य हो!
* हरेक को युवावस्था में ही सिखा दिया जाए कि हम सिर्फ भारतीय हैं!
*चुनाव लड़ने या सिविल सर्विस ज्वाइन करने से पूर्व घोषणा करें कि :-
न मैँ दलित हूँ न मैँ सवर्ण हूँ !!
न मैँ काला हूँ न गौरवर्ण हूँ !!
न तो यादव हूँ और न ही जाट हूँ !!
न ही अमीर का पलंग और न ही गरीब की खाट हूँ !!
मैँ ना तो लोधी ,ना ठाकुर !!
न पंडित ना ही स्वर्णकार !!
मैँ तो हिन्दूस्तानी हूँ !!
जिसकी महिमा अपरम्पार !!
आओँ जाति वर्ण का भेद मिटा दँ !!
हर सनातनी को गले लगा लेँ !!
इस राजनीति से अपने राष्ट्र धर्म को बचा लेँ !!
हम क्या हैँ एक बार फिर दुनिया को दिखा देँ !!
मैँ ही सिख हूँ मैँ ही हिन्दू हूँ !!
मेरा धर्म है शुद्ध सनातन !!
मैँ ही जैन हूँ मैँ ही बोद्ध हूँ !!
मैँ ही विश्वगुरु भारत का केन्द्र बिन्दू हूँ !!
मैँ विशुद्ध भारतीय हूँ !!
सिर्फ संविधान में लिख देने या किसी संवैधानिक पद की शपथ लेने मात्र से भारत की एकता और अखंडता अक्षुण नहीं रह सकती! श्रीराम तिवारी
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