साइंस और तकनीकि के अलावा इस संसार में किसी के पास लिखने को नया कुछ नही है, क्योंकि जो कुछ लिखने लायक था, वह महर्षि वेद व्यास जी और उनसे पहले वाले ज्ञानी जन पहले ही कह गए! बुध्द, महावीर , अजित केश कंबली, चार्वाक और गुरु नानक, ये सब सनातन परंपरा में ही पैदा हुए थे!
नये पंथ और मत मतान्तरों ने देश,काल भाषा और परिस्थितियों के अनुसार भले ही उन्हें सख्त सनातन विरोधी बना दिया। किंतु वे सब मिलकर भी सनातन संस्कृति,योग और सनातन धर्म का का बाल बांका नही कर सके! बल्कि सनातन धर्म दिन प्रति दिन पहले की अपेक्षा ज्यादा धवल, उज्ज्वल और मजबूत हुआ है ! सनातन धर्म आज सर्वत्र अपनी आभा बिखेर रहा है!
सनातन संस्कृति और धर्म को ललकारने वाले नकारात्मक तत्व इस धरती पर सदा से होते रहे हैं,और सदा होते रहेंगे!लेकिन वे नकारात्मक तत्व सनातन संस्कृति और सनातन धर्म पर जितना तीव्र प्रहार करेंगे, उन्हें उतनी ही कठोर चोट सहनी पड़ेगी! क्योंकि सनातन संस्कृति वैदिक धर्म विज्ञान पर आधारित जीवन दर्शन है, दैवीय परंपरा है और मानवमात्र का हितैषी है!
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