अमर शहीद-भगतसिंह -राजगुरु -सुखदेव की शहादत को चिरस्मरणीय बनाते हुए- काव्यात्मक श्रद्धाँजलि ! *अमर शहीद का स्वगत कथन*
जवानियाँ मचलने लगीं,
गुलामियों के फंद काटने,
स्वातंत्रय यज्ञ वेदी पर ,
शौर्य का हवन हो गया!!
आबाद कालकोठरी कठिन,
क्षण क्षण क्रांति दीप जल उठे!
तरुण हिय मशाल जल उठी,
अरुण तब लाल हो गया!!
मानव इतिहास ने सभी,
ग्रन्थ दासता से भर लिये !
स्वतंत्रता वयम् हो गई,
संघर्ष जब अहम् हो गया!!
धुंध युक्त व्योम ने हमें,
धूमकेतु सम गढ़ दिया!
दासत्व युग धूमिल हुआ,
भारत अब कुंद इंदु हो गया!!
कालजयी क्रांतियों के,
पृष्ठ जो हम लिख चले!
विचारों के नीड में मेरा,
सहज ही मिलन हो गया!!
हाथों में राष्ट्रध्वज लिये,
अंतिम सांस तक लडे़ हम!
जन जन हुंकार जब उठी,
'इंकलाब' जिंदाबाद हो गया!!
जुल्म की सुनामियों के ,
क्रूर दिन अब लद गए!
छंदों के क्षीर सिंधु में
जन गण मन हो गया!!
संघर्ष सिंधु मंथन का ,
गरल कंठ हमने पिया,
फांसी का फंद चूमकर,
मीत से मिलन हो गया!!
सींचकर लहू से चमन,
राष्ट्र का सृजन कर चले !
लहराये तिरंगा हर घर पर,
बलिदान मेरा धन्य हो गया!!
मुक्ति के संग्राम में मेरा,
मनमीत से मिलन हो गया !
:श्रीराम तिवारी:-
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