दरसल इस्लाम मजहब का सारतत्व उतना ही मानवीय और अमनपसन्द है जितना कि ईसाई और यहूदी धर्म का ! किंतु अहिंसा का मंत्र विशुद्ध भारतीय वैदिक-सनातन धर्म की उपज है ! जिसे श्री वैष्णव परंपरा ने परवान चढ़ाया,बौद्ध जैन मत ने परिष्कृत किया है!
यहाँ ऋग्वेदकाल से ही सर्वजन हिताय, सर्वजनसुखाय का शांतिपाठ जारी है! हर सनातनधर्मी मानव मन की अंतर्जगत यात्रा ही भारतीय समाज का ध्येय रहा है!
इसीलिये भारत में हरेक उस धर्म मजहब की कट्टरता पर अंकुश होना चाहिए,जिनका मकसद ही दूसरों को बर्बाद कर देने का रहा है!चूँकि भारत में लोकतंत्र है इसलिए यहाँ जब तक हिंदू जैन बौद्ध ईसाई ये सब मिल कर बहुमत में हैं तब तक लोकतंत्र को कोई खतरा नही! किंतु किसी खास कट्टर कौम के द्वारा लोकतंत्र खत्म किया जा सकता है।
इस्लामिक आतंकवाद ने दुनिया में जो किया है,उसके अलावा और किसी धर्म मजहब के लोगों ने मानवता को उतना खतरा उत्पन्न नही किया है! इस्लामिक जगत में हर जगह न केवल आपसी मारामारी जारी रहा करती है,अपितु वे लंदन,पेरिस मुम्बई -कहींभी कभी भी मरने-मारने को आतुर रहते हैं !
वे पहले शरणार्थी बनकर किसी मुल्क में जाते हैं,फिर कश्मीर,कैराना,बंगाल की तरह मुल्क की सरजमी पर काबिज हो जाते हैं! इसलिए भारत के हिंदुओं को और यहां के मूल निवासियों को - जो धर्मांतरित हो चुके हैं,कट्टरपंथ जनित आतंकवाद से खतरा है ! दरसल इस खतरे को ठीकसे समझना होगा। शायद यूपी की जनता ने दूसरी बार फिर उस खतरे को ठीक से समझ लिया है।
दरसल भारत को खतरा किसी भी धर्म मजहब से नही है! भारत को खतरा ममता सपा,राजद और उन दलों से है,जो हर चुनाव में अपनी जाति बिरादरी के नर नारियों का और अल्पसंख्यक वर्ग का भयादोहन करते रहते हैं! श्रीराम तिवारी
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