जरा दिल को तसल्ली दो,आरज सुनो मेरी।
रोको रवानी को,तुम्हें जल्दी भी क्या ऐंसी।।
दिल को समझा लें हम,तब तुम चले जाना।
गम अपना सुना दें हम,तब तुम चले जाना।।
चोट दिल में लगी, प्रिय तुमसे बिछुड़ने की।
सदा सूरत रही दिल में,हरदम सलोनी सी।।
प्रीत अनमोल कैसी है,ए हमने अब जाना।
गम अपना सुना दें हम,तब तुम चले जाना।।
इतना ही था मिलन,आई वेला जुदा होने !
होश उड़े हैं मेरे, नैन रीते रीते लगे रोने !!
जरा होश मैं आ जाऊं ,तब तुम चले जाना।
गम अपना सुना दें हम,तब तुम चले जाना।।
मन हल्का तो होने दो, हम गम के मारे हैं।
हमको न भुला देना,हम सदा ही तुम्हारे हैं।।
नफरतों के दौर में,सच्ची यारी निभा जाना।
गम अपना सुना दें हम, तब तुम चले जाना।।
हमें गम जुदाई का,देकर के तुम चल दिए।
पलकों पै बिठाया किंतु वक्त ने छल किये।।
तुम बिन कैसे जियें, जरा ये तो बता जाना।
गम अपना सुना दें हम, तब तुम चले जाना।।
ये तो आदत पुरानी है,बिरह चोट खाने की।
जब जब जागे नसीब,आये बेला रुलाने की।।
हमने पीर पराई को,खूब देखा सुना जाना।
गम अपना सुना दें हम, तब तुम चले जाना।।
कितना चाहा तुम्हें हमने,हमको न भुला देना।
ग़मों को हमारे तुम ,अपना न बना लेना ।।
दिल का जख्म भर दे, दवा ऐंसी दे जाना।
गम अपना सुना दें हम तब तुम चले जाना।।
:-श्रीराम तिवारी
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