यह तो इतिहासवेत्ता और राजनीतिज्ञ तय करेंगे की भाजपाको सत्ता में बिठाने के लिये कारसेवकों का बलिदान कितना कामयाब रहा? और भाजपा को सत्ता में बिठाने के लिये रामलला मंदिर का मुद्दा उठाना कितना कामयाब रहा?
किंतु इस संदर्भ में हम इतना पूरे यकीन से कह सकते हैं कि अन्ना हजारे,स्वामी रामदेव, आसाराम,श्री श्री,राम रहीम जैसे भाजपाई (अ) संत यदि संघ परिवार की ओर से चलाये जा रहे आंदोलन का तब समर्थन या नेतत्व न करते और 2008 में वामपंथी दल मनमोहनसिंह सरकार से समर्थन वापिस नही लेते,तो आज जो लोग सत्ता की कुर्सी पर बैठकर हवा में उड़ रहे हैं,वे जमीन पर होते और रोटी सत्तू बांधकर संघ प्रचारक का काम कर रहे होते!
यदि डॉ.मनमोहनसिंह 5 साल सत्ता में और रहते,तो भारत की अर्थ व्यवस्था भी आज दुनिया में तीसरे नंबर पर होती!
महान अर्थशास्त्री पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहनसिंह को उनके जन्मदिवस पर दीर्घ जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं!
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