मंगलवार, 28 सितंबर 2021

राजनीती हरजाई इतनी,

 मंत्री नेता अफसर बाबू ,

इनपर नहीं किसी का काबू।
भले बुढ़ापा आ जाए पर,
इनकी तृष्णा कभी न जाबू।।
नित नित नए चुनावी फंडे,
बदल बदलकर झंडे डंडे।
राजनीती हरजाई इतनी,
कि नहीं देखती संडे मंडे।।
अंधे पीसें कुत्ते खायें ,
ये रीति सदा से चलि आई !
कोटि कोटि जनता पै भारी,
शासक की बेहरम बरियाई !!
भारत की धरती पर अम्बे ,
जाति धर्म के हाथ हैं लम्बे ।
भ्रस्टों से आजाद करा दे,
जय जय अम्बे जय जगदम्बे।।
श्रीराम तिवारी

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