फूल अनगिन खिलें वो चमन चाहिए।
शोर काफी हुआ कुछ अमन चाहिए।।
जहाँ ईमान मेहनत का आदर दिखे,
चाँद तारों का नीला गगन चाहिए।
सारी धरती हमारी नंदन वन बने,
दिल में हर शख्स के ये लगन चाहिए।।
कुछ भी रंगरूप हो किन्तु मन एक हो,
मज़हबी आतंक की कुछ दवा चाहिए।
प्यार करुणा की क्यारी बना बागवाँ,
बम बारूद का रण नहीं चाहिए ।।
खार खुशहाल हों और गुल्म रोते रहें,
हमको ऐंसी सियासत नहीं चाहिये।
खंतियाँ खोद जिनकी जवानी गई ,
एक कांदा दो रोटी उन्हें चाहिए।।
हद्द असमानता की मिटे साथियों,
व्यभिचारों का सिस्टम नहीं चाहिए।
सब्ज पत्तीं भी हों लाली फूलों पै हो,
जर्रा जर्रा खिले वो चमन चाहिए।।
कबीलाई बर्बरता का अवसान हो,
विश्व बन्धुत्त्व वाली लहर चाहिए।
मस्त ताकत के मद चूर हों बेखबर,
हिप्पोक्रेटिक सियासत नहीं चाहिए।।
;श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें