ईशावास्यमिदम यत्किंचित जगत्यां जगत ,तेन त्यक्तेन भुजिंता मा कस्विद्धनम !
{ईशावास्योपनषद १-९ ]
"जो 'अविद्या' (माया) अर्थात भौतिकवाद (Materialism) की उपासना करते हैं, वे गहन अंधकार में भटकते हैं,जो 'विद्या'(ऋत) अर्थात अध्यात्मवाद (Spiritualism )में रत होकर भौतिक जगत से विमुख हो जाते हैं,वे घोर अंधकार में भटकते रहते हैं ! बिना भोग के किये गये त्याग से वासनाओं का समूल नाश नही होता!अत: विवेकी विद्वान वही है जो भौतिक जगत और आध्यात्मिक विद्या दोनों का समन्वय करे!"
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