रविवार, 26 सितंबर 2021

कम्युनिस्ट होने के लिये तो आग का दरिया पार करना होता है!

 कॉ.कन्हैयाकुमार और जिग्नेश मेवाणी की मौजूदा स्थितिको समझते हुए हम सब्र कर सकते हैं कि उन्होंने साम्प्रदायिकता और जातिवादी दलों के आग्रह ठुकराकर धर्मनिर्पेक्ष पूँजावादी कांग्रेस को चुना! दरसल यह दलबदल नही है,अभी तक तो ये दोनों छात्र नेता ही रहे हैं! जिग्नेश पहले से ही गुजरात में हार्दिक पटैल के साथ भाजपा विरोध के लिये जाने जाते रहे हैं!

कन्हैयाकुमार भी एक अधकचरे वामपंथी उम्मीदवार के रूप में बिहार से चुनाव लड़े किंतु बुरी तरह हारे ! इसलिये अब जिग्नेश और कन्हैयाकुमार के लिये कांग्रेस ही सही है! कम्युनिस्ट होना इन लोगों के बूते की बात नही!
कम्युनिस्ट होने के लिये तो आग का दरिया पार करना होता है!
बहरहाल गनीमत है कि जिग्नेश मेवाणी और कॉं.कन्हैयाकुमार भाजपा में नही गए!

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