केंद्रीय आयकर टीम अभिनेता और कोरोना संकटग्रस्त लोगों के मददगार सोनू सूद के घर आय व्यय सर्वे करने पहुंची है! यद्यपि सोनू सूद कानून से परे नही,किंतु सर्वे के बहाने किसी राजनीतिक बदले की भावना से की जाने वाली कार्यवाही संदेह तो उत्पन्न करती ही है! सबको मालूम है कि सोनू सूद और उसकी टीम ने कोरोना के दौरान देशभर में बिना भेदभाव के बंचितों को अपना निस्वार्थ सहायता अभियान जारी रखा है !
यह सब दो साल से चल रहा है,हम सभी जानते हैं कि जब कोई ईमानदारी से समाज सेवा करता है,तो देश के दानदाता भी दोनों हाथ से उन्हें अनुदान देते हैं! आयकर विभाग ने दो साल तक कोई कार्यवाही नही की ! किंतु ज्योंही दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सोनू सूद को सम्मानित करते हुए,उसे दिल्ली राज्य का 'ब्रॉड ऐम्बेसडर' बनाने का प्रस्ताव रखा,त्यों ही केंद्रीय आयकर वाले सोनू सूद के यहाँ सर्वे के बहाने जा धमके! मान लो अच्छे और सच्चे दिल वाले सोनू सूद से हिसाब किताब में चूक हो गई ,तो क्या वह राफैल कांड से भी बड़ी अपराध होगा? यदि संकटग्रस्त लोगों की सेवा करना अपराध है तो यह जुर्म तो बड़े बड़े धर्मात्माओं से भी हुए हैं! यह जरूरी नही कि सच्चा जनसेवक या संत भी सत्ता के तलुवे चाँटने सत्ता की सीकरी तक सलाम ठोकने जाए ! यह कहना मुश्किल है कि असहमत को अस्वीकार करना सत्ता का मद है या विचारधारात्मक हिप्पोक्रेसी ?
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