परिंदे हौसला कायम रख!
अनवरत उड़ान जारी रख!!
हर इक निगाह है तुझ पर,
हरपल संभल सावधानी रख!
बुलंदियाँ छूने की कलाबाजी,
गगन में हिम्मत की कहानी रच!!
फिजायें परों को आजमाएगीं,
नजर हरदम आसमानी रख!
परिंदे पहिले भी उड़े हैं अनेक,
सीख उनकी मुँह जुबानी रख!!
राह भटके भूले न लौटे कभी,
याद उनकी जरूरी निशानी रख!
दहक़ता आसमाँ होगा वहाँ,
उड़ानों में पुरुषत्व मानी रख!!
कहीं बादल घनेरे अँधेरा घुप्प,
कौंधतीं बिजलियाँ जवानी रख!
धुंध के पार का विहंगावलोकन,
सितारों से भी आगे रवानी रख !!
परिंदे हौंसला कायम रख!
अनवरत उड़ान जारी रख!!
(मेरे काव्य संग्रह 'शतकोटिमंजरी' से अनुदित सर्वाधिक सराही गई रचना)
:- श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें