शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

तुम कौन हो,हम नहीं जानते !

 तुम कौन हो,हम नहीं जानते !

गहरी नदिया हो और नाव पुरानी हो.

उफनती मझधार में लहर तूफानी हो.

धीर गंभीर स्थितप्रज्ञ कुशल माझी हो.

पार लगाने में जिसका न कोई सानी हो.

भले ही उसकी छोटी सी जिंदगानी हो. 

वतन कौम के काम आ जाये जवानी हो. 



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