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जो ऋत,सत् ,चित,जड़ प्रकृति के शाश्वत नियमों को नही जानते और जो चैतन्य पुरुष को अपने अंतस में नही देखते ,वे न तो योग को जानते हैं और न ही वे सनातन धर्म या हिंदू धर्म को जानते हैं!
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