अब यह किसी से छिपा नही कि विगत 7 साल में अनिल 'अंबानी' एसिया का टाप पू्ंजीपति कैसे बन गया? मध्यप्रदेशमें दिलीप सूर्यवंशी,सन्नी गौड़का कारोबार कितना और कैसे बढा,यह किसे नही मालूम? फिर ये उदाहरण तो हांडी के एक दो चावल मात्र हैं!
दरसल जिन सार्वजानिक उपक्रमों और नव रत्नोंकी बदौलत हमारे नेता 2008 की विश्व व्यापी आर्थिक मंदी के दौरमें भी इतराते रहे, उन सार्वजनिक उपक्रमों को अब मौजूदा मोदी सरकार खुद ठिकाने लगाने जा रही है।
यह सरकार राष्ट्र की सम्पदा रूपी सरकारी कंपनियों को तेजी से निजीकरण करके चूना लगा रही है! रिलायंस के मैनेजरों को ठेका दिया है कि वे न केवल टैलिकाम या BSNL अपितु देश के सभी नौरत्नों को शीघ्र ठिकाने लगाएं ! याने पार्टी फंड जुटाने,सरकारी खर्च जुटाने के लिये देश के वर्तमान शासकों ने अपने ही वतन के मूल अर्थतंत्र को कमजोर करने की सुपारी तमाम देशी विदेशी पूँजीपतियों को दे रखी है!इससे न केवल बेरोजगारी बढ़ेगी बल्कि लाखों मजदूरों की छटनी सहित केवल देश का अहित ही होगा!
कोरोना संकट के कारण वित्तीय असमानता की स्थति भयावह होती जा रही है!देश के नवरत्न रुपी सार्वजनिक उपक्रमों याने राष्ट्रीय धरोहर की जीवंतता खत्म होते ही हमारे घरेलु संसाधन खुद ख़त्म हो जायेंगे। मोदी सरकार की नीतियों से भारत में घोर गरीबी ,बेरोजगारी का विस्तार होगा! सिर्फ पूंजीपति और उनके दलाल शेष रहेंगे!-श्रीराम तिवारी !
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