यदि जातीय आधार पर आरक्षण व्यवस्था जारी रहेगी,तो जातिवाद और ज्यादा मजबूत होगा! केवल साम्यवादी व्यवस्था ही जातिवाद को डॉयल्यूट कर सकती है! किंतु यदि भारतीय साम्यवादी दल आरक्षण का समर्थन करते रहेंगे,तो गरीब सवर्ण कहां जाएंगे? यदि किसी गरीब को उसकी जाति के आधार पर सरकारी नौकरी में चाँस ही नही है,तो वह निजीकरण का विरोध क्यों करेगा?
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