शनिवार, 6 मई 2023

*कभी ख़ामोशियों को खामोशी से सुनो*

 प्रेम की धारा बहती है जिस दिल में,*

*चर्चा उसकी होती है हर महफ़िल में.*
*कुछ ख्वाहिशों का,*
*अधूरा रहना ही ठीक है*
*जिन्दगी जीने की चाहत तो बनी रहती है*
*ज़िंदगी ऐसी पाठशाला है जहाँ,,,,*
*क्लास बदलती रहती है*
*परन्तु विषय नही बदलते*
*कौन कहता है,,,*
*ख़ामोशियाँ' ख़ामोश होती हैं*
*कभी ख़ामोशियों को खामोशी से सुनो*
*ख़ामोशियाँ वो कह देती हैं,*
*जिनकी लफ़्जों को तलाश होती है*
*हम जहाँ प्रार्थना करते है,*
*केवल वहीं ईश्वर नही होता...!*
*ईश्वर वहाँ भी होता है,*
*जहाँ हम गुनाह करते है...!!*

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