माना कि बुलंदियों पर है मुकाम उनका,
फिर भी शिद्दत से मुस्कराना नहीं आता!
दुनिया भर की खुशियाँ नसीब हैं उनको,
सियासत में सुरताल मिलाना नहीं आता!
जिनको अपनी ही कल्पित छवि के अलावा,
देश काल स्पेश में कुछ भी नजर नहीं आता!
इतिहास ने शख्सियत खूब बख्स है जिनको,
तीरमें तुक्का भिड़ाना भी उनको नहीं आता !
श्मशान की लपटों और उजडे हुए खेतों से,
नजरें मिलाना, कभी भूल से भी नहीं आता!
वेशक मौसमें बहार आई है जिनके जीवन में,
मुसीबत में संभलना उनको भी नहीं आता!
उनके फलसफे पर एतवार कौन करे आहत*
किसीका हमसफर होनाभी उन्हें नहीं आता!
उनको प्यार करो,दुलराओ,प्रेम के गीत सुनाओ,
लेकिन रूठे हुए को मनाना उनको नहीं आता!
श्रीराम तिवारी(*आहत)
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