बाबा बागेश्वर धाम छाए हुए हैं !
किसी भी राज्य में दरबार लगा लें , पहुंचने वाली भीड़ का कोई ओर छोर नहीं है !
बड़े बड़े साधु संतों की नगरी में उनके बीच जीवन का काफी हिस्सा गुजारने का अवसर मिला !
वीतराग देवरहा बाबा और स्वामी वामदेव से लेकर डाक्टर प्रणव पंड्या और बाबा रामदेव तक के रचना संसार देखे !
सबके अपने अपने काम , सबके बड़े बड़े नाम , सबके अपने अपने जलवे , सबके अपने अपने आभामंडल !
लेकिन जैसा तूफान मात्र २६ वर्षीय स्वामी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ आया ऐसा कभी नहीं देखा !
न इस तरह लाखों की भीड़ ,न एक युवा के प्रति ऐसी प्रीति और न ही ऐसी दीवानगी !
तीन लाख के लिए बनाए गए पंडाल में अगर भीषण गर्मी में दस लाख भक्त आ जाएं तो वैसी ही समस्याएं आएंगी जैसी बिहार दरबार के दौरान देखने को मिली बागेश्वर धाम बाबा हिंदू समाज को जोड़ने और हिन्दू राष्ट्र का स्वप्न लेकर निकले हैं उनका कोई छिपा एजेंडा नहीं है । वे हिन्दू धर्म छोड़कर मुस्लिम या ईसाई बने लोगों को वापस हिंदू धर्म में ला रहे हैं । पंडित धीरेंद्र शास्त्री के पंडाल में मानों पूरा बिहार ही उमड़ पड़ा हो । उन्हें चुनौती देने वाला लालू खानदान और नीतीश सरकार हाथ मलते रह गए , बाबा पांच दिनों तक राम हनुमान के दरबार लगाकर शान से निकल गए ।
हिन्दुत्व का एजेंडा बाबा चलाते हैं , परंतु वे किसी पार्टी का समर्थन नहीं करते । बिहार की राजनीति उबल पड़ी हैं । बाबा की सभाओं में जय श्रीराम का उद्घोष राजनीति को जरा भी नहीं भा रहा लेकिन भाजपा को भा रहा है उन्हें लगता है कि बाबा उनकी जमीन बनाने का काम कर रहे हैं ।
इसके विपरीत राजद , जेडीयू और कांग्रेस ने बाबा के बिहार आने का विरोध कर अपनी जमीन कुछ कम ही की है । जबकि बाबा का फायदा उठाने की भाजपा को जरा भी जरूरत नहीं है । धीरेंद्र शास्त्री का विरोध कर विपक्ष खुद ही भाजपा को लाभ पहुंचा रहा है । जैसे कल शाम उत्तर प्रदेश सपा प्रवक्ता ने यह कहकर पहुंचा दिया कि बाबा को यूपी में मंच नहीं लगाने दिया जाएगा ।
धीरेंद्र शास्त्री से मिलने का अवसर कभी नहीं मिला । मिलता भी कैसे , वे उभरे ही एक डेढ़ साल से हैं । कुछ महीने पहले उनकी एक झलक तब देखी , जब वे कुछ देर के लिए भगवान परशुराम जन्मोत्सव के आयोजन मे भोपाल गुफा मंदिर आए थे । देश के अधिकांश लोगों से उनका परिचय टीवी के माध्यम से हो रहा है । लेकिन अभी तक उनके मंच से ऐसी एक बात भी सामने नहीं आई , जिसका कोई विरोध करे ।
बागेश्वर बाबा महावीर हनुमान के परम भक्त हैं और साधक गंभीर साधक हैं । बजरंगबली जिसके इष्ट हों , उसका बाल बांका भी उसका बाल बांका भी कोई नहीं कर सकता । अपने सनातन धर्म के प्रचार का संतों और कथावाचकों को पूरा अधिकार है । राजनीति की क्या बिसात कि किसी को कथा प्रवचन से रोके ?
#हैरत_की_बात_है कि जो नेता दहाड़ दहाड़ कर बाबा का विरोध कर रहे हैं , उनके मुंह से उन असामाजिक तत्वों के खिलाफ़ एक स्वर नहीं फूटता , जिन्होंने त्र्यंबकेश्वर में महादेव के ज्योतिर्लिंग पर हरी चादर चढ़ाने का प्रयास किया तुम #गाली दोगे पर फिर भी तुम्हें वे #आशीर्वाद देंगे।
#सनातन #धर्म के पोषक #साधु, #संत ऐसे ही #सर्वकल्याणमयी होते हैं। वे सबके सुख की कामना करते हैं। वे #समाज में #शांति, #सौहार्द रहे इसकी कामना करते हैं; #सनातनी होने का मूल धर्म यही है।
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुख भागभवेत।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
अर्थात:- सभी प्रसन्न रहें, सभी स्वस्थ रहें, सबका भला हो, किसी को भी कोई दुख ना रहे। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।।।
एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ कि इसी बिहारभूमि पर किसी बड़े राजनेता की रैली में 50 हजार की भीड़ जुटाने के लिए द्वार द्वार पर गाड़ी भेजते और पैसे बांटते हम सब ने देखा है। वैसे समय में कहीं दूर से आये किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है। मेरे लिए यही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सबसे बड़ा चमत्कार है।
वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमें सभी हैं। बाभन-भुइंहार हैं, तो कोइरी कुर्मी भी... राजपूत हैं तो बनिया भी, यादव भी, हरिजन भी... यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है। उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, तो यह विश्वास दृढ़ होता है कि हमें बांधना असम्भव नहीं। राजनीति हमें कितना भी तोड़े, धर्म हमें जोड़ ही लेगा...
आयातित तर्कों के दम पर कितना भी बवंडर बतिया लें, पर यह सत्य है कि इस देश को केवल और केवल धर्म एक करता है। कश्मीर से कन्याकुमारी के मध्य हजार संस्कृतियां निवास करती हैं। भाषाएं अलग हैं, परंपराएं अलग हैं, विचार अलग हैं, दृष्टि अलग है, भौगोलिक स्थिति अलग है, परिस्थितियां अलग हैं, फिर भी हम एक राष्ट्र हैं तो केवल और केवल धर्म के कारण! धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उसी धर्म की डोर से सबको बांध रहे हैं।
कुछ लोग उनके चमत्कारी होने को लेकर उनकी आलोचना करते हैं। मैं अपनी कहूँ तो चमत्कारों पर मेरा अविश्वास नहीं। एक महाविपन्न परिवार से निकला व्यक्ति यदि युवा अवस्था में ही देश के सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल हो जाता है, तो इस चमत्कार पर पूरी श्रद्धा है मेरी...
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने समय के मुद्दों पर स्पष्ट बोलते हैं, यह उनकी शक्ति है। नवजागृत हिन्दू चेतना को अपने संतों से जिस बात का असंतोष था कि वे हमारे विषयों पर बोलते क्यों नहीं, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उस असन्तोष को शांत कर रहे हैं। यह कम सुखद नहीं...
कुछ लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को रोकने के दावे कर रहे थे। मैं जानता हूँ, उन्हें ईश्वर रोके तो रोके, अब अन्य कोई नहीं रोक सकेगा... धीरेंद्र समय की मांग हैं। यह समय ही धीरेंद्र शास्त्री का है।
मैं स्पष्ट मानता हूँ कि यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है, अब हर क्षेत्र से योद्धा नायक निकलेंगे। राजनीति, धर्म, अर्थ, विज्ञान, रक्षा... हर क्षेत्र नव-चन्द्रगुप्तों की आभा से जगमगायेगा। देखते जाइये...
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