शनिवार, 6 मई 2023

मंदिर मस्जिद वोट दिलाते,

 मंदिर-मस्जिद वोट दिलाते,

किंतु जीत दिलाती मधुशाला।
राज्य सरकार को खूब भा रही ,
धन बरसाती ये मधुशाला !!
उस जातिवाद की ऐसी तैसी,
जिसने लोकतंत्र को धो डाला !
किंतु वामन ठाकुर वैश्य शूद्र का
भेद मिटाती ये मधुशाला ।।
यदि नशा मुक्त हो जाए मुल्क,
तो चल न सकेगी मधुशाला।
न धंधा चलता बदमाशों का,
न नोट छापती मधुशाला।।
कंट्रोलों पर राशन गायब है,
किंतु खुली मिलेगी मधुशाला।
भाड़ में जाए जनता बेचारी,
केवल मस्त रहे पीने वाला।।
कोई आपत्ति न जतलाओ,
खुली रहने दो ये मधुशाला।
यदि होश में रहे लोग तो
चमकेंगे त्रिशूल और भाला।।
बड़े बड़ों का अनुभव कहता,
निर्धन न जा पाए मधुशाला।
यदि मजदूर शराबी हो जाए,
तो कैसे भरेगा उदर ज्वाला।।
दुनिया है बर्बाद तो क्या गम,
बस इन्हें चाहिए मधुशाला।
घर परिवार मिटा के छोडेंगे,
ना बचा पाएगा ऊपरवाला।।
मंदिर मस्जिद वोट दिलाते,
किंतु जीत दिलाती मधुशाला।
राज्य सरकार को खूब भा रही,
धन बरसाती ये मधुशाला।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें