यदि आप हिंसक बर्बर आतंकियों,रक्त पिपासु हमलावरों के साथ खड़े हैं,तो प्रगतिशील हैं! और यदि आप भारतीय अस्मिता,सभ्यता संस्कृति के साथ खड़े हैं तो आप प्रतिक्रियावादी हैं। यह मेरी स्थापना नही बल्कि यह थ्योरी उनकी है जो भारतीय मूल्यों की निरंतर नकारात्मक आलोचना करते रहे हैं!और जो स्थिर मजबूत सत्ता प्रतिष्ठान की अभद्र आलोचना के लिये सदा अभिशप्त हैं! दरसल यह ऐतिहासिक भौतिकवादी द्वंदात्मकता नही है,बल्कि यह तो *लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष समाजवादी गणतंत्र भारत* के लिए धीमा जहर है! श्रीराम तिवारी
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