मनचाहा हर किसी को कब कहाँ मिलता है।
बिना सही इनपुट के ऑउटपुट कहाँ मिलता है।।
आज अपराधी जैसे हो गये सत्यनिष्ठ कुलीन,
शार्टकट वाला सभ्यता से वास्ता कहां रखता है।
त्याग बलिदान इतिहास अमर जिनका अतीत में,
हत्भाग्य आज जग उनको ही अन्यायी कहता है।
जिनके संकल्पों की उड़ानों पर ख्वाबों के डेरे हों,
उनकी योग्यता पर बार-बार उल्कापिंड गिरता है।।
हर सत्य शील आहत*हौसले रखता बुलंद हर दम,
फीनिक्स पक्षी की मानिंद राख से जी उठता है।
वक्त ने जब चाहा जो चाहा करवाया कमजोरों से,
मानवता का अर्थ केवल पुरषार्थ ही कर सकता है।
भौतिकता की जद्दोजहद नहीं भूले क्या कम है,
घनाच्छादित गगन का सूर्य भी तमस हरता है।।
जानलेवा हैं रूस यूक्रेन जंग की बारूदी हवाऐं,
पूंजीवाद दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है।
अब यदि पत्ता भी खडकता है तो,चौंक उठता हूँ ,
पता नही कौनसा चैनल कब बुरी खबर रखता है।।
श्रीराम तिवारी
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