कान्हा गोबर्धन गिरधारी।
प्रभु बिनती सुनो हमारी।।
साले मुठ्ठी भर आतंकियों ने,
मानवताकी ऐंसी तैंसी कर डारी।।
भगत राम कृष्ण के ज्यादा मरते
हे यदुनंदन आ जाओ धरा पर,
देखलो हो रही किरकिरी तुम्हारी।।
तेरे ही वंशज गाली देते तुझको,
चुनावी राजनीति की बलिहारी।
कान्हा गोबर्धन गिरधारी,
प्रभु बिनती सुनह हमारी!!
सबके स्वार्थ लोभ लालच पर,
होवे मानवता ही भारी
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