किसी के तीर में जादू,किसी की कमान में जादू !
उनकी नज़र में ही सही मेरी लेखनी में है जादू !!
जब कभी किसी अनुकम्पा का इल्हाम होता है ,
चलता है मेरा ज़मीन पै जादू आसमान पै जादूूू!
सफर में जब कभी उग्र सूरज के साथ चलता हूँ,
चमकती धूप के साये में दमकते देखता जादू !
हमें तो फूल से पत्थर बना दिया इस जमाने ने,
न है अब जिस्ममें जादू,न अब है जान में जादू !!
हम रोज रात स्वप्न में अद्भुत नजारा देखा किये,
सुबह जागे तो देखा है अपनी मुस्कान का जादू !
उदासियाँ मेरे दरो दीवारपर ठहरतीही नही कभी,
न जाने किसने कर दिया है मेरे अक्स पर जादू!!
श्रीराम तिवारी
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