जिस तरह पंछी को प्रमाणित नहीं करना है कि घोसला उसने बनाया,पेड़ को प्रमाणित नही करना पड़ता कि छांव उसी की है,सदा नीरा नदी को प्रमाणित नही करना पड़ता कि जलधारा उसी की है! इसी तरह इस जगत में हर वस्तु,विचार,स्थान और व्यक्ति को साक्षी भाव से देखने वाले को,अपने किसी कथन या मौलिक स्थापना का शास्त्रीय अथवा वैज्ञानिक प्रमाण नही देना पड़ता!शास्त्र कहते हैं:- 'अच्छा स्वास्थ्य और अच्छा परिवार मिलना प्रारब्ध पर आश्रित है'
किंतु मेरा निजी अनुभव है कि अच्छी सोच रखने,सदा खुश मिजाज रहने,खानपान पर नियंत्रण रखने,नित्य व्यायाम करने, संयम-नियम से जीवन चर्या चलते रहने और नीति नियत ठीक रखने से इंसान काफी हद तक सुखमय जीवन जिया जा सकता है! मन
बुद्धि चित्त और अहंकार पर आत्मा का नियंत्रण होने लगता है #अंत मति सो गति*
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