पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में आज 9-4-2022 koअविश्वास प्रस्ताव पर कम,किंतु भारतीय लोकतंत्र की तारीफ में ज्यादा तकरीरें सुनाई दे रहीं हैं! कल तक तो सिर्फ मियाँ इमरान खान ही भारतीय विदेश नीति पर लट्टू थे, किंतु आज वरिष्ठ मंत्री शाह महमूद कुरैशी और पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो सहित पक्ष विपक्ष के तमाम नेताओं में होड़ मची है कि कौन भारत का सबसे बेहतर प्रशंसक है!
खुदा दोनों मुल्कों के बीच मोहब्बत का ये सिलसिला जारी रखे !
आमीन !
विगत 7-8 साल में कुछ तो ऐंसा हुआ है कि भारत की विदेश नीति में निखार आया है !इसका श्रेय यूपीए की विगत मनमोहनसिंह सरकार को और उन्हें बाहर से समर्थन देने वाले वामपंथ को जाता है ! वेशक वामपंथ ने तब कांग्रेस और यूपीए से समर्थन वापिस ले लिया था,किंतु मनमोहनसिंह ने तब तक अमरीका और विश्व बैंक को भारत के फेवर में कर लिया था!
अत: वाैश्विक मंदी के बावजूद 2005 से 20014 तक डॉ मनमोहनसिंह ने नई आर्थिक नीति का जोखिम उठाया! हालाँकि उनकी उदारवादी निजीकरण की नीति से बेरोजगारी बढ़ी! किंतु मनरेगा आदि अन्य तरीकों से जनता को मदद भी मिलती रही! विदेशी मुद्रा भंडार लबालब हो गया था! सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्ते खूब बढ़े! किंतु दूर संचार स्पेक्ट्रम घोटाला और बोफोर्स कोयला इत्यादि केग रचित घोटालों को अन्ना हजारे, स्वामी रामदेव और संघ परिवार ने खूब बढ़ा चढ़ाकर पेश किया, जिससे मोदी सरकार सत्ता में आ गई और कांग्रेस की लुटिया डूब गई !
सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने डॉ. मनमोहनसिंह की विदेश नीति और आर्थिक निजीकरण की नीति को मजबूती से पकड़ा, इससे गरीब वर्ग और बेरोजगारों की आर्थिक स्थिति मंगते जैसी हो गई है! किंतु विदेश नीति में अवश्य निखार आया है,उसका श्रेय विदेशमंत्री एस जयशंकर को और मोदीजी को जाता है !
विगत दिनों पाकिस्तान के नेता और आवाम प्रधान मंत्री मोदी का ऐंसे गुणगान करते देखे गये,मानों वे देवदूत हों!जबकि यथार्थ के धरातल पर मोदीजी के राज में घरेलू मोर्चे पर नतीजा यह है कि कुछ अमीर लोगों को ही ज्यादा लाभ हुआ है! खासकर गुजराती अमीर पहले से ज्यादा अमीर हो गये हैं!बेशक मुकेश अंबानी की पूँजी बहुत बढ़ी है,किंतु अडानी तो जीरो से हीरो बन गये हैं!
हालांकि विगत कोरोना संकट दरम्यान गरीब मजदूर बेहाल हो गये हैं! कोढ़ में खाज की तरह किसान मजदूर विरोधी कुटिल कानून और दूसरी तरफ कोरोना महामारी जनित लॉकडाऊन ने तमाम सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र को ध्वस्त कर दिया है! बचा खुचा काम सरकार निपटा रही है!
यह स्मरण रहे कि भारत की आवाम ने सिर्फ मंदिर के लिये या हिंदूत्व के स्वाभिमान लिये ही दूसरी बार मोदी सरकार को बम्फर जनादेश नही दिया है ! बल्कि स्विश बैंक का कालाधन,*सबका साथ सबका विकास* के मुद्दों पर ज्यादा भरोसा किया था! किंतु अब तक कोई भी सकारात्मक कार्यवाही न होने से जन संघर्ष और किसान संघर्ष तेज हो चला है!
किंतु जनता के दुर्भाग्य से और हुकूमत के सौभाग्य से दुनिया में कोरोना वायरस की महामारी का संकट फिर से छा गया है! इसलिये अभी तमाम आंदोलन प्रतीकात्मक ही होने चाहिये
इस कोरोना महामारी ने आधुनिक मेडीकल साईंस को बहुत नाच नचाया है किंतु बहादुर मेडीकल वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने कोविड वैक्सीन बना लिया है! हालॉकि कोरोना ने विकसित राष्ट्रों,मंदिरों,मस्जिदों और धर्मांधों को धरती सुंघाकर बहुत कुछ तहस नहस कर दिया है!
इन दिनों दुनिया में रूस उक्रेन की वजह से पेट्रोलियम उत्पाद बहुत मंहगे हो गये हैं! गरीब मुल्कों का पटिया उलाल हो रहा है! गरीब-अमीर,काले -गोरे,सवर्ण-दलित,अगड़े- पिछड़े सभी वैश्विक जन संकट के मुहाने पर खड़े हैं! गनीमत है कि मोदी सरकार ने रूस -यूक्रेन युद्ध में शांति का पक्ष लिया और नाटो या अमरीकी धमकियों की परवाह नही की, जिन धमकियों के कारण पाकिस्तानकी चुनी हुई इमरान सरकार गिर गई !
यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारत में इस महामारी के संकटकाल से अब तक एक सर्वशक्तिमान और नामुमकिन को मुमकिन बनाने के लिये कटिबद्ध सरकार सत्ता में है! यदि सौभाग्य से भाजपा विपक्ष में होती,और कांग्रेस सत्ता में होती,तो भक्तगण प्रधानमंत्री को मौनी बाबा घोषित कर देते!
तब अन्ना हजारे,स्वामी रामदेव और तमाम जहरीले अंधभक्तों द्वारा सोनियाजी को इटली भेजनेका और कांग्रेस को सत्ता छोड़ने का राष्ट्र व्यापी आंदोलन छेड़ दिया जाता! अस्तु!
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