रविवार, 24 अप्रैल 2022

जदोजहद भरा है *आहत,

 कौन जाने कि ये कौन सा दर्द है जो घटता ही नहीं,

होता जाता है बेजा असहनीय मरहम लगाने के बाद !
डाल पर जब तक खिले हैं फूल महका करेंगे खूब,
लेकिन ख़ुशबू दे न सकेंगे ये कल मुरझाने के बाद !
आ से होती है आग भ से होती है भयंकर भूख अंकल,
मजलूम भूखे बच्चे ने कहा थोड़ा हकलाने के बाद !
ज़िन्दगी का ये सफ़र,बहुत जदोजहद भरा है *आहत,
करोड़ों बेरोजगार हैं आज काम छिन जाने के बाद !
रास्ता काँटों भरा है,मुश्किल में है मुल्क की आवाम,
भीख पर जिंदा है भीड़,आर्थिक संकट आने के बाद!

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