चींटियाँ खूब मेहनती होती हैं। अपनी एकता और मेहनत से सामूहिक सुरक्षा के निमत्त ठिकाना बनाती हैं। लेकिन उनके इस सार्वजनिक घर [वामी] में साँप जबरन घुस आते हैं। शायद इसीलिये कहावत चल पड़ी है कि 'चींटियाँ घर बनाती हैं और साँप उसमें रहने आ जाते हैं '।
हर जानकार इंसान वामी के पास जाने सेहद डरता है। हालाँकि उसे कोई गलतफहमी नहीं कि वह वामी से क्यों डरता है ? दरशल इंसान ही नहीं बल्कि वन्यजीव जन्तु जानवर -चूहे बिल्ली कुत्ते कीट,पतंगे भी जानते है कि 'वामी' में उसकी सृजनहार चींटियाँ नहीं बल्कि 'विषधर' निवास करते हैं। वास्तव में तो 'वामी ' के रूप - आकार से किसी को कोई खतरा नहीं। किन्तु वामी में डेरा डालने वाले 'जहरीले' केरेक्टर से हरेक को खतरा है। कहने को तो हर इंसान एक सामाजिक प्राणी है। किन्तु सीधे -सादे सरल लोगों के हक छीनकर ,ओरों के त्याग -बलिदान के कंधों पर चढ़कर जब कोई खास व्यक्ति या संगठन ताकतवर हो जाता है तो उसका आचरण किसी तक्षक,वासुकि या कालिया नाग से कम नहीं होता।
जिन्होंने १९८० के मुंबई अधिवेशन में 'भाजपा' की स्थापना की जिन्होंने अनेक रथयात्राओं और कमंडल यात्राओं के बहाने देश भर में साम्प्रदायिकता का तांडव नृत्य नचाया गया !जिनके बहकावे में देशके निर्धन -गरीब सर्वहारा मजदूर -किसान ने हल-बैल छोड़कर अयोध्या कुच किया,जिनके भाषणों से उत्तेजित उन्मादियों ने अयोध्या का ढांचा गिराया,जिनके कारण हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए जिनके कारण गोधरा काण्ड हुआ,जिनके कारण गुजरात और देश भर में साम्प्रदायिक सौहाद्र की रुसवाई हुई,जिनके कारण अनेक बेकसूर जेल गए और दंगोंमें सैकड़ों जाने गईं उन लालकृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी उमा भारती,शांताकुमार और अरुण शौरी को आज भाजपा स्थापना दिवस पर घर में बैठकर ही संतोष करना पड़ रहा है!
नरेंद्र मोदी,अमित शाह की जोड़ी ने मुरली मनोहर जोशी,आडवाणी को राष्ट्रीय मंच पर बुलाने और सम्बोधन से बहुत पहले वंचित कर सिद्ध कर दिया! याने कि कहावत सही है कि चींटियां घर बनाती हैं और सांप उसमें रहने आ जाते हैं! इसके अलावा भाजपा के वर्तमान,घुसपैठिये याने 'बलात कब्जाधारियों ने यह भी सावित कर दिया कि :-
''मूर्ख लोग मकान बनाते- बनाते मर जाते हैं किन्तु विद्वान [धूर्त-चालाक ] ही उसमें रह सकते हैं!"
देश की ज्वलंत समस्याओं की रंचमात्र चर्चा न करना,बड़े नेताओं द्वारा अपने ही बर्चुअल काल्पनिक और उन्मुक्त भाषणों को अपनी उपलब्धियाँ बताना,खुदकी पीठ थपथपाना, गरीबी,भुखमरी बेरोजगारी,और भ्रस्टाचार की तरफ से आँखें मूदकर,अर्जुन लक्ष्य की तरह ऐन केन प्रकारेण हर समय चुनावी मोड़ पर रहना *चुनाव में फतह हासिल करना*ही मौजूदा भाजपा नेतत्व का अभीष्ठ रह गया है!
दुनिया की तथाकथित 'सबसे बड़ी पार्टी' भाजपा के कुछ वणिकवादी नेता समझते हैं कि भाजपा में अब सर्वहारा वर्ग या किसानों की बातों का कोई महत्व नहीं रहा,वे वास्तव में हिंदुत्व के वोट वटोरु खिलाड़ी हैं ! उनके लिये अंततोगत्वा असल चीज है ! याने कि कार्पोरेट सेक्टर के लिये मुनाफा बटोरने का मार्ग प्रशस्त करना ही वर्तमान भाजपा का अभीष्ठ है!भारत में लोकतंत्र की जगह अंधभक्ति, फास्जिम,समाजवाद की जगह अब अडानी अंबानी जैसे अमीरों का विकास दमक रहा है! मोदी सरकार की असीम अनुकम्पा से गौतम अडानी अब भारत के सबसे बड़े पूँजीपति हो गये हैं!
हर चुनाव में धर्मनिरपेक्षता की जगह जाति वाद और साम्प्रदायिकता की धमक सुनी सुनायी देती है। कार्पोरेट आवारा पूँजी के दलाल,साम्राज्य्वाद के अनाड़ी पिछलग्गू, अल्पसंख्यक वाद बनाम बहुसंख्यकवाद के अंधभक्त सब मिलकर भारत को आर्थिक अराजकता और अलगाववाद की अंधी सुरंग में धकेल रहे हैं!
विगत विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में और खास तौर से यूपी विधान सभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद भाजपा का रुख कट्टर पूंजीवादी लिबरलाईजेशन की तरफ होने की आशंका है,बेरोजगारी और मेंहगाई दोनों मोर्चों पर भाजपा अभी तक कुछ नही कर पाई है! यद्यपि 1980 के मुंबई स्थापना अधिवेशन में अटल बिहारी बाजपेई, लाल कृष्ण आडवानी और तत्कालीन नेताओं ने गांधीवादी समाजवाद का संकल्प व्यक्त कियाथा,किंतु आज यदि गांधीवाद को किसी से खतरा है तो वह भाजपा ही है! संघ परिवार के कुछ कट्टरपंथियों से संविधान को, धर्मनिर्पेक्षता को,गांधीवाद को और गंगा जमुनी तहजीव को खतरा है!
बेशक अतीत में हिंदू समाज को विधर्मियोंं और विदेशियों ने बहुत सताया है,किंतु नया जमाना है,लोकतंत्र है अत: ईश्वर सबको सद्बुद्धि दे! खुदा खैर करे ! :-श्रीराम तिवारी
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