विश्व सर्वहारा किसान मजदूर का सिंहनाद हूँ मैं,
हर जाति हर मजहब का ध्यानाकर्षण चाहता हूँ !
सदियों से सबकी सुन रहा हूँ खामोश रहकर,
शिद्दत से आज के साथ कुछ कहना चाहता हूँ!!
वेद पुराण बाइबिल कुरआन जेंदावेस्ता गीता,
इनके बरक्स है कुछ खास वो कहना चाहता हूँ!
इतिहास भूगोल राजनीति साइंस तकनीक ,
आधुनिकता से कुछ जुदा कहना चाहता हूँ!!
ईश्वर अवतारों पीरों पैगंबरों संतों महात्माओं,
इनके इतर जो भूला बिसरा है,वह कहना चाहता हूँ!
मैं समाज सुधारकों का करुण क्रंदन नहीं हूँ,
हर मनुष्य के अंदर क्रांतिकारी परिवर्तन चाहता हूँ!!
हमें न तख्तो ताज चाहिए,न जन्नत-के सब्ज बाग,
सिर्फ उत्पादन के साधनों पर अधिकार चाहता हूँ!
युगों युगों से जो बात सभी बिसारते आये हैं,
वो बात शिद्दत से दुनिया को बताना चाहता हूँ !!
ये धरती,हवा,पानी,गगन,सूरज जल जंगल जमीन,
सब में सबका बराबर हक देखना चाहता हूँ!
जो समग्र सृष्टि है उस विराट समष्टि चैतन्य ने रची,
उस रचना मैं प्राणीमात्र को चित्रित देखना चाहता हूँ!!
श्रीराम तिवारी
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