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किसी द्वंदात्मक संघर्ष की अवस्था में यदि यह सूझ न पड़े कि सही कौन है?गलत कौन है? तो तटस्थ रहने के बजाय न्याय के पक्ष में अथवा निर्बल के पक्ष में खड़े हो जाओ!गीता और साम्यवाद का यही संदेश है, और मेरा भी यही सिद्धांत है!
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