शनिवार, 23 अप्रैल 2022

हिंदू-मुस्लिम सद्भावना और एकता के कुछ विचारणीय बिंदु:-

 1. मुस्लिम समुदाय के लिए यह मानना और उसके अनुसार काम करना बहुत आवश्यक है कि देश में लोकतंत्र मुसलमानों के कारण नहीं बल्कि हिंदू बहुमत के कारण स्थापित है और हिन्दू बहुमत ही उसे मज़बूत बनाएगा। इसलिए अल्पसंख्यकों के अधिकारों की कोई लोकतांत्रिक लड़ाई सेकुलर और डेमोक्रेटिक हिंदुओं को साथ लिए बिना नहीं लड़ी जा सकती।

2.देश में एकता और शांति के महत्व और आवश्यकता पर एक बड़ा राष्ट्रीय सम्मेलन किया जाना चाहिए ।इस राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन दंगा प्रभावित क्षेत्र में कैंडल मार्च आयोजित किया जा सकता है।
3. प्रत्येक प्रांत में एकता और शांति बनाए रखने की कमेटियों का गठन किया जाना चाहिए। प्रांतीय कमेटियां जनपद में कमेटियों का गठन कर सकती हैं.
4. हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच अविश्वास और घृणा का वातावरण बनाने के लिए जिन भ्रामक मुद्दों को प्रचारित किया जाता है उनका निराकरण करने के लिए एक समिति का गठन किया जाए। विधिवत तरीके से इन मुद्दों को पहचान कर उन पर विस्तार से चर्चा करना और उन्हें मास मीडिया द्वारा बड़े स्तर पर प्रसारित करना आवश्यक है .
5. जनसंचार माध्यमों के प्रभावशाली लोगों को बुलाकर उनके साथ बैठक की जाए। उनसे यह अपील की जाय कि वे देश में एकता और शांति को बनाए रखने के लिए संयम बरतें और भावनात्मक तथा भड़काऊ रिपोर्टिंग न करें ।
6. मुस्लिम समुदाय में आत्मविश्वास पैदा किया जाय और समाज सुधार के मुद्दों पर बात की जानी चाहिए।
7. एकता और शान्ति स्थापित करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
8. सांप्रदायिक सद्भाव बनाने वाले लोगों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए।
9. जो आम लोग, पुलिसकर्मी या प्रशासन के कर्मचारी सांप्रदायिक दंगों में क्षतिग्रस्त होते हैं उनकी किसी रूप में क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए।
10. संभ्रांत मुस्लिम समुदाय और साधारण गरीब मुसलमानों के बीच एक बहुत बड़ी दीवार है जिसे तोड़ना और जरूरी है।
11.जब मुस्लिम राज था,तब उन्होंने उस गांव का नाम रखा- मोहम्मदपुर। सैकड़ों साल बाद जब मोदी योगी राज आया तो गांव का नाम हो गया,माधवपुर! और जब मेहनतकशों और किसानों का राज होगा,तब इस गांव का नाम होगा-मोहब्बतपुर !

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