भारतीय संविधान, विशाल जन समूह और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र,सर्वाधिक सस्ता लेबर और अध्यात्म की दुनिया में सर्वाधिक संपन्न राष्ट्र भारतके बारे में आपके मन में क्या है?
अक्सर देखा गया है कि इमारती लकड़ी के लिए जंगल में सबसे पहले सीधे -सुडौल और सुदर्शन पेड़ को ही काटा जाता है। उबड़- खाबड़ -आड़े-टेड़े पेड़ों की तरफ तो लकड़ी काटने वाला नजर उठाकर भी नहीं देखता । भारतीय मानव समाज में भी सीधे -सरल नर-नारियों की कुछ यही दशा है। शराफ़त और कायदे से जीवन यापन करने वाले व्यक्ति को शासन-प्रशासन में बैठे लोग- वर्गीय समाज के धूर्त-बदमास तत्व चैन से नहीं जीने देते।
भारत में विधि और क़ानून पर भरोसा करने वाले को विधि का सम्मान करने वाले को 'चुगद' याने बौड़म समझा जाता है। बदमाश तत्व सबसे पहले इन्हे ही शिकार बनाते हैं। यह अमानवीय -असामाजिक बीमारी सारे 'सभ्य' संसार में व्याप्त है। किंतु भारत इस बीमारी के गर्त में आकंठ डूबा हुआ है। भारतीय निरीह जनता दुनिया में सर्वाधिक आक्रान्त है।यहाँ की लोकशाही का वैसे तो दुनिया में बड़ा नाम है किन्तु अंदरूनी स्थति बहुत भयावह और निष्ठुर है। लाख मोदी जी दावे करें, किंतु क्या मजाल है कि बिना रिश्वत, बिना पौए के किसी का कोई सरकारी काम बन जाए !
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