केजरीवाल या *आम आदमी पार्टी* के नेता यदि भ्रस्ट हैं तो बेशक संवैधानिक ऐजेंसियां उन पर कार्यवाही करें! किंतु राजनैतिक खुन्नस के कारण तिल का ताड़ न बनाया जाए! भाजपा में कोई भ्रस्ट नही इसका भी कोई एक प्रमाणपेश करें!बेशक वर्तमान मोदी सरकार ने राष्ट्रीय अ़तर्राष्टीय स्तर पर सफलता के झ़डे गाड़े हैंं! लेकिन इन सबसे आम आदमी को राहत नही मिल सकती!
केजरीवाल ने केवल शिक्षा,स्वास्थ्य और सस्ती बिजली की सुलभता मात्र से दो- दो राज्यों में जीत के झ़डे गाड़ दिये हैं! उधर 50 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन,सबको कोरोना बैक्सीन,डिफेंस आधुनिकीकरण और विदेश नीति की थोड़ी सी सफलता ही मोदी सरकार की पूंजी है!
मोदी सरकार आर्थिक नीति के क्षेत्र में असफल होती जा रही है। रुपया रसातल को जा रहा है,मेंहगाई आसमान छू रही है,सरकारी सेवाओं पर ताले लग रहे हैं,निजी क्षेत्र में अकेले अदाणी का विकास हो रहा है!इन हालात में भारत के प्रबुद्ध जन यदि मौजूदा शासन प्रशासन के कामकाज पर पैनी नजर रखते हैं,उसकी तथ्यपरक शल्य क्रिया करते हैं और वैकल्पिक राह सुझाते हैं तो उनको गंभीरता से लिया जाना चाहिए !
आम जनता और सत्ता पक्ष द्वारा आर्थिक समीक्षकों की आवाज सुनी जानी चाहिए। लेकिंन चिंतन् और समीक्षा करने के बजाये अंधभक्त लोग विपक्ष एवं आलोचकों को गालियां दे रहे हैं ! एक कूट योजना के तहत आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बड़े नेताओं को बदनाम किया जा रहा है! सत्तापक्ष का यह आचरण ठीक नही है! शायद इन्हीं अलोकतांत्रिक धत्करमों की बजह से कुछ पढ़े लिखे लोग फासीवाद की पगध्वनि का आरोप लगा रहे हैं!
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